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Donald Trump की वापसी से क्या India, Saudi Arabia और Israel को मिलेगी मजबूती? Russia, Ukraine व China पर कैसा होगा असर?

Donald Trump: अमेरिका की सत्ता में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी से India, Israel और Saudi Arabia वैश्विक मंचों पर और मजबूत हो सकेंगे। जबकि रिपब्लिकन उम्मीदवार की वापसी Russia, Ukraine और China जैसे देशों के लिए थोड़ी चिंताजनक है।

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Donald Trump
सांकेतिक तस्वीर

Donald Trump: अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव (US Elections 2024) के नतीजों की चर्चा देश-दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में हो रही है। अमेरिका की सत्ता में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की वापसी को सभी देश अपने-अपने समीकरण के हिसाब से देख रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि अमेरिका (America) में हुए सत्ता परिवर्तन का असर दुनिया के अलग-अलग देशों में व्यापारिक, नीतिगत व रक्षा मसौदों समेत अन्य पर हो सकता है।

ट्रंप की वापसी से भारत (India), इजरायल (Israel) और सऊदी अरब (Saudi Arabia) जैसे कुछ देशों को वैश्विक मंच पर मजबूती मिलने की बात कही जा रही है। वहीं व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के रूस, यूक्रेन और चीन (China) के लिए ट्रंप की वापसी थोड़ी चिंताजनक हो सकती है। ऐसे में आइए हम आपको इस पूरी संभावना के बारे में विस्तार से बताने की कोशिश करते हैं।

Donald Trump की वापसी से क्या India, Saudi Arabia और Israel को मिलेगी मजबूती?

रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के बाद अमेरिका की नीतियों में बदलाव होने की पूरी संभावना है। दावा किया जा रहा है कि ट्रंप, डेमोक्रेट्स के बनाए नीतियों को छोड़ अपनी नीतियों पर शासन कर सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो इसका असर दुनिया के विभिन्न हिस्सों पर पड़ने की संभावना भी है।

भारत के परिपेक्ष्य में बात करें तो अमेरिका में ट्रंप (Donald Trump) की वापसी से देश वैश्विक मंच पर और मजबूत होने की संभावना है। दावा किया जा रहा है कि वर्तमान स्थिति में भारत-अमेरिका के बीच रक्षा संबंध और मजबूत होंगे। वहीं अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान (QUAD) का गठजोड़ भी तेजी से उभरेगा जिससे भारत को लाभ हो सकेगा।

व्यापारिक दृष्टिकोण से देखें तो भारत-अमेरिका के बीच 200 अरब डॉलर का कारोबार होता है। भारत दुनिया के उभरते देशों में से एक है। ऐसे में ट्रंप की वापसी से भारत-अमेरिका के बीच व्यापारिक साझेदारी बढ़ने की उम्मीद भी हैं। ऐशिया में अमेरिका के लिए भारत एक मजबूत साझेदार के रूप में है जो चीन को न्यूट्रल करने में उसकी मदद कर सकता है।

मिडिल इस्ट (Middle East) की बात करें तो इजरायल भी ट्रंप की वापसी से गदगद होगा। दरअसल ट्रंप शुरू से ही इजरायल के पक्षधर रहे हैं। उन्होंने पूर्व में इजरायली पीएम नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) से भी मुलाकात की थी। इस दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को कड़ा रूख जताते हुए इजरायल (Israel) को बिना सोचे हमला करने की बात कही थी। ऐसे में ट्रंप के पुराने रूख से स्पष्ट है कि उनकी वापसी इजरायल के लिए फायदेमंद हो सकती है।

सऊदी अरब (Saudi Arabia) की बात करें तो ये देश पेट्रोलियम के सबसे बड़े निर्यातक देशों में से एक है। यहां संभावनाएं अपार हैं। अमेरिकी सरकार पहले भी सऊदी में अपनी दिलचस्पी प्रदर्शित कर चुकी है। दावा किया जा रहा है कि ट्रंप की वापसी से सऊदी, अमेरिका के साथ लंबे समय से प्रतीक्षित सुरक्षा समझौते के प्रयासों को पुनर्जीवित कर सकता है। इसके अलावा सऊदी के व्यापार नीति पर ट्रंप की वापसी का सकारात्मक असर पड़ने के आसार हैं।

Russia, Ukraine व China पर कैसा होगा ट्रंप की वापसी का असर?

व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के शासन वाला रूस शुरू से ही अमेरिका के प्रतिद्वंदी देशों में रहा है। दोनों के बीच तल्खियां समय के हिसाब से थोड़ा कम-ज्यादा होती रही हैं। दावा किया जा रहा है कि वर्तमान में ट्रंप (Donald Trump) की वापसी रूस के लिए थोड़ी चिंताजनक है। ट्रंप, पुतिन पर रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) विराम समझौते के लिए दबाव डालने के लिए संघर्ष बढ़ा सकते हैं। इसके घातक परिणाम होने की संभावनाएं भी हैं। व्यापारिक दृष्टिकोण से भी अमेरिका का सत्ता परिवर्तन रूस के लिए थोड़ा चिंता का विषय है।

यूक्रेन की बात करें तो ट्रंप की वापसी जेलेंस्की (Volodymyr Zelenskyy) को हैरान कर सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ट्रंप, यूक्रेन को अमेरिका से मिलने वाली सहायता की लगातार आलोचना करते रहे हैं। उन्होंने अपने चुनावी प्रचार के दौरान जेलेंस्की को दुनिया का सबसे बड़ा सेल्समैन बताया था। ऐसे में दावा किया जा रहा है कि यूक्रेन (Ukraine) के विरुद्ध अमेरिका की नीति अब बदल सकती है जिससे यूक्रेन को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

चीन को अमेरिका के प्रतिद्वंदी के रूप में देखा जाता है। दुनिया के तमाम मंचों पर अमेरिका और चीन के शीर्ष नेता खुल कर आमने-सामने होते नजर आते हैं। अमेरिका की नीति पहले से ही चीन (China) को न्यूट्रल रखने और उसके शक्तियों पर लगाम लगाने की रही है। ऐसे में ट्रंप भी उसी नीति को रफ्तार देते हुए अपनी शासकीय शैली को आगे बढ़ा सकते हैं जो कि चीन के लिए चिंताजनक है। अमेरिका अपने व्यापार नीतियों में बदलाव कर चीन के व्यापार जगत में भी बांधा बन कर प्रतिद्वंदी देश के लिए चिंता का सबब बन सकता है।

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