West Bengal: पश्चिम बंगाल की व्यवस्था पर लगातार सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं। चाहे स्वास्थ्य व्यवस्था हो या फिर कानून व्यवस्था हो। इस बार ऐसी एक घटना निकलकर सामने आई है कि सुनने-देखने वाले का शिर शर्म से झुक जाए। बंगाल की स्वास्थ्य व्यवस्था बानगी देखिए कि पेशे से मजदूर असीम देव शर्मा को अपने नन्हें से मासूम बेटे के शव को एक बैग में रखकर घर लौटना पड़ा क्यों कि उससे एंबुलेंस के नाम पर 8 हजार मांगे गए। जो कि उसके पास देने के लिए नहीं थे। वह अस्पताल प्रबंधंन से लाख गिड़गिड़ाया लेकिन उसका दिल नहीं पसीजा अंत में मासूम के शव को एक पिता बैग में डालकर घर ले गया। इस घटना के वीडियो और फोटो सामने आने के बाद एक बार फिर से राजनीतिक माहौल गर्मा गया है।
जानें क्या है पूरा मामला
बता दें बंगाल के कालिया गंज में रहने वाले असीम देव शर्मा मजदूरी करते हैं। उनकी पत्नी ने 5 महीने पहले ही एक साथ दो बच्चों को जन्म दिया था। जन्म के बाद से ही दोनों नवजात शिशुओं की हालत चिंताजनक थी। जिसके बाद उन्हें कालियागंज के ही स्टेट जनरल हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया गया था। लेकिन स्थिति सुधरते न देख शिशुओं को पहले रायगंज और फिर वहां से सिलीगुड़ी के उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया था। जिसमें एक बच्चा तो स्वस्थ हो गया लेकिन दूसरे बच्चे की शनिवार को मौत हो गई। उसके बाद मृत बच्चे को घर तक भेजने के लिए मजदूर पिता से मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने 8 हजार रुपए की मांग की गई। लेकिन इतनी बड़ी रकम न होने के कारण वो कई बार प्रबंधन से गिड़गिड़ाता रहा। लेकिन कोई असर होता न देख थक हारकर असीम देव अपने बच्चे के शव को बैग में डालकर घर ले जाने पर मजबूर हो गया।
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घटना पर बीजेपी ने उठाया मुद्दा
इस शर्मशार कर देने की घटना का वीडियो वायरल हो जाने के बाद बंगाल बीजेपी ने तुरंत इस मामले को उठाया। बंगाल के वरिष्ठ बीजेपी नेता सवेंदु अधिकारी ने मीडिया से बात करने वाले उस मजबूर पिता का वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘मैं इसकी गहराई में नहीं जाना चाहता, लेकिन क्या “स्वास्थ्य साथी” योजना की यही उपलब्धि है? ये दुर्भाग्यपूर्ण मौत “एडवांस बांग्ला” की सच्चाई है।’ सुवेंदु अधिकारी के ट्वीट के बाद टीएमसी सांसद सांतनु सेन ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि इस मामले में गंदी राजनीति की जा रही है। बता दें इससे पहले भी
जनवरी में इसी तरह की शर्मसार कर देने वाली घटना हुई थी। जिसमें एक व्यक्ति को एंबुलेंस के पैसे न होने के कारण अपनी मां के शव को कंधे पर रखकर अस्पताल से 40 किमी अपने घर ले जाना पड़ा था।
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