Sawan 2023: सावन के महीने के पंचमी का दिन नागपंचमी के तौर पर मनाया जाता है। नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा की जाती है और इस दिन लोग सांपों को दूध से नहलाते हैं वहीं कई लोग अपनी श्रद्धा अनुसार सांपों को दूध भी पिलाते हैं। नागपंचमी के दिन सांप के दर्शन होना शुभ माना जाता है। आपको बता दें सावन के नागपंचमी के दिन बिहार के कई जिलों में सांपो का मेला लगता है। यहां लोग दूर-दूर से जिंदा सांपो को लेकर नागपंचमी की पूजा करने आते हैं। पूजा-अर्चना के बाद भक्त सांप को लेकर नाचते-गाते हैं। सांपों के साथ नाचते, झुमते इन भक्तों का वीडियो वायरल। यहां देखें।
सांपों के साथ झूमते दिखे लोग
इन जगहों पर सांपों का मेला
सावन के महीने में आने वाली नागपंचमी के दिन बिहार के समस्तीपुर समेत कई जिलों में सांपो का मेला लगता है। इनमें समस्तीपुर के सिंघिया के अलावा नवादा, मनियापुर, दलसिंहसराय प्रखंड के मालपुर, महनैया, कोनैला, ओरियामा, बम्बईया, सलखनी गांवों में नाग मेला आयोजित की जाती है।नागपंचमी के लिए लोग एक महीने पहले से ही तैयारी शुरू कर देते हैं।
समस्तीपुर में ऐसे मनाई गई नागपंचमी
नागपंचमी पर सांपों के मेले की परंपरा समस्तीपुर के सिंघिया में 300 सालों से अधिक समय ये चली आ रही है। इस मेले में बूढ़े, बच्चे जवान सभी सांपों को पकड़ कर उन्हें गले और हाथ में पकड़े रहते हैं। मान्यता अनुसार सांपों को दूध पिलाया जाता है, पूजा की जाती है और फिर छोड़ दिया जाता है। माना जाता है कि, नागपंचमी के दिन सांपों को पकड़ने की प्रथा सदियों से चली आ रही है। लोग नागपंचमी से पहले ही सांपों को पकड़ कर घरों में रखने लगते हैं। भक्त नागपंचमी से एक रात पहले सांप को लेकर इक्ट्ठा होते हैं और रात भर जागरण करते हैं। पूजा करने के बाद लोग जुलूस निकालते हैं। इन्हें लेकर बूढ़ी गंडक नदी के सिंघिया घाट पर जाते हैं। बता दें कि सिंघिया में लोग सांप नहीं मारते हैं। घर में सांप निकलना शुभ माना जाता है। हैरानी की बात यह है कि, सालों से चले आ रहे इस मेले में आज तक किसी को भी सांप ने नहीं डसा है।
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