दिल्ली में ऐसे कराई जाएगी Artificial Rain

Author : Anshika Shukla Date : 09/11/2023

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दिल्ली में प्रदुषण

दिल्ली-एनसीआर में लगातार प्रदूषण की वजह से धुंध छटने का नाम नहीं ले रही है।  पूरा दिल्ली और उससे सटे इलाके धुंए की चादर में कैद हो गए हैं।  

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आर्टिफिशल रेन

सुप्रीम कोर्ट की ओर से सख्त रुख अख्तियार करने के बाद आखिरकार दिल्ली सरकार कृत्रिम बारिश यानी आर्टिफिशल रेन की तैयारी कर रही है। 

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कैसे होती है कृत्रिम बारिश

कृत्रिम बारिश केमिकल एजेंट्स जैसे सिल्वर आयोडाईड, ड्राई आइस और साधारण नमक को बादलों में छोड़कर करवाई जाती हैं। इसे क्लाउड सीडिंग कहते हैं।

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बरसने पर किया जाता है मज़बूर

वैज्ञानिकों के अनुसार, इस प्रक्रिया के लिए प्राकृतिक बादलों का मौजूद होना सबसे जरूरी है। इस तरीके में बादलों को बरसने पर मजबूर किया जाता है।  

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राकेट की मदद

क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया एयरक्राफ्ट या ग्राउंड बेस्ड रॉकेट लॉन्चर से ही हो सकती है। जिस बादल को चुना जाए उसमें लिक्विड का होना काफी जरूरी है।

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क्लाउड सीडिंग का काम

क्लाउड सीडिंग में सिल्वर आयोडाईड इस्तमाल किया जाता है।  ये बदाल में जाकर उसे भारी कर देता है और बरसने पर मज़बूर करता है।  

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मिलती है राहत

क्लाउड सीडिंग प्रदूषण का स्थाई हल नहीं है, लेकिन स्मॉग के दौरान इसे अपनाया जा सकता है। इससे थोड़े समय के लिए राहत होगी।

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कितना है खर्च

 इस तरह की बारिश करवाने में एक बार में करीब 10 से 15 लाख रुपये का खर्च आता है। 

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