Author- Afsana 1/06/2024
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आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतिशास्त्र में कई सफल नीतियों का उल्लेख किया है, जिसमें सफल जीवन के कई रहस्यों को भी चाणक्य ने स्पष्ट किया है। इसी तरह उन्होंने मान सम्मान के खातिर इन जगहों पर रहने से सख्त मना किया है।
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चाणक्य मनुष्य को उस स्थान पर रहने से मना करते हैं जहां पर उन्हें जान जाने का भय हो, या जिस जगह पर समाज और कानून का भी डर सताता हो तो ऐसे स्थान को फौरन बदल देना चाहिए।
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जिस जगह पर लोगों में लाज की भावना ना हो उस जगह पर भी नहीं रहना चाहिए क्योंकि उस स्थान पर लोग आपको कभी भी आदर सम्मान नहीं देंगे, जहां पर ईश्वर, लोक, परलोक पर आस्था रखने वाले लोग होंगे सिर्फ वहीं मान सम्मान की प्राप्ति हो सकती है।
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चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को उस जगह पर भी नहीं रहना चाहिए जहां पर लोग परोपकारी और त्याग की भावना ना रखते हों, ऐसे लोग आपके किसी भी परिस्थिति में काम नहीं आ सकते हैं, और वहां रहकर आपको केवल कष्ट ही होगा।
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चाणक्य कहते हैं जिस जगह पर लोग दान देने की भावना ना रखते हैं तो उस देश या उस स्थान पर आपको एक भी पल नहीं रुकना चाहिए, क्योंकि ऐसी जगह पर रहने से आपकी भी अंतरात्मा अपवित्र हो जाती है।
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आचार्य चाणक्य ने ऐसी जगह पर भी रहने से मना किया है जहां पर रोजी रोटी का कोई भी साधन ना हो, क्योंकि ऐसी जगह पर रहकर आप अपने और अपने परिवार का पालन पौषण नहीं कर सकते हैं।
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जिस देश या स्थान पर लोग आपको बुरी नजरों से देखते हो या आपसे दूर रहते हो तो ऐसी जगह पर भी नहीं ठहरना चाहिए, क्योंकि वहां आपको क्रोध और कष्ट के अलावा कुछ और नहीं मिलेगा।
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चाणक्य ने मनुष्यों को अपनी नीति शास्त्र द्वारा बताया है कि जिस स्थान पर आपका कोई दोस्त भाई भाई बंधु ना रहता हो तो उस जगह पर भी नहीं रहना चाहिए
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