Author- Afsana 24/06/2024
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आचार्य चाणक्य अपनी नीति शास्त्र के चौथे श्लोक में बताते हैं कि जीवन में कभी भी इन 5 लोगों को नाराज नहीं करना चाहिए, तो चलिए जानते हैं वो कौन-कौन से लोग हैं।
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चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र में सबसे पहले जन्म देने वाली माँ का विचार किया है और कहा कि व्यक्ति को कभी भी अपनी माँ का अपमान नहीं करना चाहिए, वरना जीवन में भारी संकट आ सकता है।
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चाणक्य ने यज्ञोपवीत कराने वाले गुरु का भी सदेव आदर करने का सुझाव देते हैं, क्योंकि ये गुरु मनुष्य को बुरे संस्कारों से दूर करके अच्छाई की ओर बढ़ावा देने में मदद करते हैं।
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मनुष्य विद्या के बिना अधूरा है, अध्यापक व्यक्ति को शिक्षा दान करके उसे बेहतर जीवन प्रदान करता है, जिससे शिक्षक का ओहदा जीवन में सबसे उपर माना जाता है इनका सदेव सम्मान करना चाहिए।
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चाणक्य अपनी नीति में बताते हैं जो आपको अन्न दे और आपका पेट भरने में आपकी सहायता करे, वो व्यक्ति ईश्वर के समान माना जाता है। इसलिए अन्न देने वाले मनुष्य का कभी भी अनादर नहीं करना चाहिए।
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सभी के जीवन में कोई ना कोई ऐसा मनुष्य शामिल होता है, जो आपको भय से मुक्त रखने में मदद करता है, चाणक्य उस व्यक्ति का भी सदेव आदर करने का सुझाव देते हैं।
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चाणक्य ने जन्म देने वाली माँ, यज्ञोपवीत कराने वाला गुरु, अध्यापक, अन्न देने वाला और भय से मुक्त रखने वाला मनुष्य का आदर करने का कारण ये भी बताया है कि ये पांचों लोग जीवन में पिता के समान हैं। जिससे इनका हमेशा सम्मान करना चाहिए।
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चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र में ये भी बताया है कि इन लोगों को हमेशा संतुष्ट रखने से जीवन में खुशियों का आगमन हो होता है।
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