Author- Afsana 25/06/2024
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आज हम अर्थशास्त्री चाणक्य के चौथे अध्याय के श्लोक को जानेंगे, जिसमें चाणक्य जीवन को नष्ट होने से बचाने के कुछ उपाए बताए हैं।
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चाणक्य अपनी नीति द्वारा बताते हैं कि अधिक आलस करने से जीवन नष्ट हो जाता है, जिसके चलते आलस से दूर रहना चाहिए।
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चाणक्य कहते हैं धन का उपयोग जरूरत पर ही करना चाहिए, वरना धन को नष्ट करने पर आपको संकटों से गुजरना पड़ सकता है।
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चाणक्य अपनी नीति शास्त्र में ये भी बताते हैं कि समय को बर्बाद करने से मनुष्य अपने जीवन को नष्ट करता है, इसलिए समय को बर्बाद नहीं चाहिए।
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लड़ाई झगड़ा करने से व्यक्ति के दुश्मन बढ़ते हैं, जिसके कारण लड़ाई झगड़े से भी हमेशा दूर रहना चाहिए।
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व्यक्ति के शिक्षित होने से वह अपने जीवन में कामियाबी के साथ, समाज में सम्मान भी पाता है, जिस कारण चाणक्य शिक्षित होने की भी सलाह देते हैं।
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चाणक्य मनुष्य को अहंकार से दूर रहने की सलाह देते हैं, क्योंकि गुस्सा जीवन को नष्ट कर देता है।
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चाणक्य अपनी नीति द्वारा बताते हैं कि मनुष्य को हमेशा स्वस्थ रहना चाहिए और अपने सेहत का ख्याल रखना चाहिए, ऐसा करने से भी जीवन नष्ट होने से भी बचाया जा सकता है।
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