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हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष है महत्व। आइए जानते हैं कब शुरू होंगे सभी मांगलिक कार्य?

Author: Sunil Poddar Date: 26/10/2023

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देवउठनी एकादशी के दिन यानी कि भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। इन दिन भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति के लिए साधकों द्वारा व्रत भी किया जाता है।

देव प्रबोधनी एकादशी:

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देवउठनी एकादशी को प्रबोधनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसी दिन ही चातुर्मास की समाप्ति मानी जाती है।

चातुर्मास की समाप्ति:

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आपको बता दें सबसे महत्वपूर्ण बातें कि अधिक मास पड़ने के कारण इस साल चातुर्मास पांच महीनों का होगा।

चातुर्मास पांच महीनों का:

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कार्तिक माह के शुक्लपक्ष एकादशी का तिथि का प्रारम्भ 22 नवम्बर रात 11 बजकर 03 मिनट से होगा।

देवउठनी एकादशी का मुहूर्त:

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एकादशी का समापन 23 नवंबर, रात 09 बजकर 01 मिनट पर हो रहा है। ऐसे में देवउठनी एकादशी यानी  प्रबोधिनी एकादशी का व्रत 23 नवंबर, ब्रहस्पतिवार के दिन किया जाएगा।

एकादशी यानी  प्रबोधिनी:

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आषाढ़ महीने के शुक्‍लपक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी भी कहते हैं।

देवउठनी एकादशी का महत्व:

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इसी दिन से भगवान श्रीहरि क्षीरसागर में विश्राम करने चले जाते हैं।इसलिए इस तिथि से सभी मांगलिक कार्य जैसे-विवाह, मुंडन, जनेऊ संस्कार कार्यों पर रोक लग जाती है।

मांगलिक कार्य  पर रोक लग जाती है :

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साथ ही देवउठनी एकादशी एक अबूझ मुहूर्त भी है अर्थात इसी दिन सभी मांगलिक और धार्मिक कार्य बिना मुहूर्त देखे शुरु किए जा सकते हैं।

सभी मांगलिक कार्यों का भी शुभारंभ हो जाता है :

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हिंदू मान्यताओं के अनुसार, देवउठनी एकादशी के अगले दिन यानी द्वादशी के दिन भगवान विष्णु और तुलसी जी का विवाह किया जाता है।

इस दिन किया जाता हैं तुलसी विवाह: