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Author- Anjali Wala 23/03/2024
होली त्योहार की तैयारियां पूरे देश में जोरों शोरो से चल रही है, लेकिन होली से पहले पूरे देश होलिका दहन की परम्परा है।
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कहा जाता है कि होलिका दहन के साथ ही लोग आपसी बैर और बुराइयों को भी उस अग्नि में जला देते हैं।
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होलिका दहन को लेकर मान्यता है कि इसकी शुरुआत सबसे पहले बिहार के पूर्णिया जिले के बनमनखी के सिकलीगढ़ धरहरा से हुई थी।
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मान्यता के अनुसार यहीं भगवान विष्णु के विरोधी हिरण्यकश्यप का किला था।
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आज भी यहां वो खम्भा मौजूद है, जिसके बारे में मान्यता है कि भगवान नरसिंह प्रहलाद को बचाने के लिए इसी से बाहर आए थे।
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प्रहलाद को मारने के लिए उसकी बुआ होलिका आग में बैठ गई थीं। लेकिन भगवान की माया से प्रहलाद बच गए और होलिका आग में ही जल गई।
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होलिका के जलने के बाद बचे राख से यहां होली खेली गई थी और आज भी यह प्रथा है।
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देश में कहीं सिर्फ गुलाल से होली खेली जाती है तो कहीं फूलों से। लेकिन बिहार के इस जगह राख से होली खेली जाती है।
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हालांकि मान्यता है कि होली की शुरुआत बुंदेलखंड के एरच से हुई थी तो इसकी शुरुआत हरदोई से भी बताई जाती है।
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