1949 से 2024 तक का अयोध्या राम मंदिर का सफर

Author: Anjali Wala  Date: 01/01/2024

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22 जनवरी 2024 को राम मंदिर अयोध्या में प्रतिष्ठा समारोह होगा लेकिन मंदिर के लिए यह यात्रा आसान नहीं थी। आइए वर्षों के संघर्षों को जानते हैं।

प्रतिष्ठा समारोह

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संवेदनशील स्थान पर भगवान राम की मूर्तियां मिलीं। ऐसी अफवाहें थीं कि ये मूर्तियां कुछ हिंदुओं द्वारा वहां रखी गई थीं। दोनों पक्ष कोर्ट गए और सरकार द्वारा इस स्थान को विवादित घोषित कर बंद कर दिया गया।

1949

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हिंदुओं के अनुरोध पर फैजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट ने प्रार्थना के लिए विवादित स्थल का दरवाजा खोलने का आदेश दिया।

1986

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हजारों लोगों ने अयोध्या में विवादित भवन को ध्वस्त कर दिया। इसके बाद देशभर में हिंदू-मुस्लिम दंगे भड़क उठे। इन दंगों ने लगभग 2,000 लोगों की जान ले ली।

1992 

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पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के निरीक्षण के अनुसार, विवादित स्थल की खुदाई के दौरान मंदिर के समान विभिन्न हिस्से मिले थे।

2003 

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5 आतंकवादियों द्वारा विवादित स्थान पर एक दुखद हमला किया गया था। इसके परिणामस्वरूप छह व्यक्तियों की मौत हो गई, जिनमें से पांच आतंकवादी थे।

2005 

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1992 की घटना के बाद रामलला तंबू में प्रवेश कर गए। रामलला 27 वर्षों तक धूप, सर्दी, गर्मी और बारिश सहते हुए तंबू में विराजमान रहे।

रामलला 

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सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में राम जन्मभूमि की 2.77 एकड़ संपत्ति हिंदू पक्ष को सौंपने का फैसला किया, जिसका मालिकाना हक केंद्र सरकार के पास रहेगा।

2019 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भगवान श्री राम की नगरी अयोध्या में भगवान श्री राम की जन्मस्थली पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन में शामिल हुए।

2020