भगवान भोले नाथ के सबसे रहस्यमयी स्वरूपों में से एक है महाकाल। वर्तमान में महाकाल के रूप में भगवान भोलेनाथ तीर्थ (स्थान) नगरी उज्जैन में विराजमान हैं। महाकाल की 5 आरतियां होती हैं, जिसमें सबसे खास मानी जाती है भस्म आरती। भस्म आरती यहां प्रातः 4 बजे होती है। आइए जानते हैं इस आरती से जुड़ी खास बातें..
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महिलाओं के लिए हैं कुछ खास नियम.... रोज़ प्रतिदिन होने वाली इस आरती में महिलाओं के लिए कुछ विशेष नियम हैं। महिलाओं को इसमें शामिल होने के लिए साड़ी पहनना जरूरी है। जिस समय शिवलिंग पर भस्म चढ़ती है उस समय महिलाओं को घूंघट करने को कहा जाता है। मान्यता है कि उस वक्त भगवान भोले नाथ निराकार स्वरूप में होते हैं। इस स्वरूप के दर्शन करने की अनुमति महिलाओं को नहीं होती।
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इस प्रकार शुरू हुई भस्म आरती की परंपरा पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि प्राचीन काल में दूषण नाम के एक राक्षस की वजह से पूरी उज्जैन नगरी में हा हा कार मचा था। नगरवासियों को इस राक्षस से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान भोले नाथ ने उसका वध कर दिया। फिर गांव वाले भोले बाबा से यहीं बस जाने का आग्रह करने लगे। तब से भगवान भोले नाथ महाकाल के रूप में वहां बस गए।
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दूषण की राख से किया श्रृंगार...... भगवान् शिव ने दूषण को भस्म किया और फिर उसकी राख से अपना श्रृंगार किया। इस वजह से इस मंदिर का नाम महाकालेश्वर रख दिया गया और शिवलिंग की भस्म से आरती की जाने लगी।
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भस्म आरती के खास नियम यहां श्मशान में जलने वाली सुबह की पहली चिताओं से भगवान शिव का श्रृंगार किया जाता है। इस भस्म के लिए पहले से लोग मंदिर में रजिस्ट्रेशन कराते हैं और मृत्यु के बाद उनकी भस्म से भगवान भोले नाथ का श्रृंगार किया जाता है।
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पुरुषों के लिए भी है बहुत खास नियम.... ऐसा नहीं कि नियम केवल महिलाओं के लिए हैं। पुरुषों को भी इस आरती को देखने के लिए केवल धोती पहननी होती है। वह भी साफ- शुद्ध स्वच्छ और सूती होनी चाहिए।
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