Author- DNP NEWS DESK 11/04/2024
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देवी दुर्गा के दाएं हाथ में त्रिशूल सुशोभित है।यह त्रिशूल उन्हें भोलेनाथ ने अपने शूल में से निकाल कर सौंपा था।
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अग्नि देव ने माता को शक्ति दिव्यास्त्र महिषासुर समेत दैत्य रथ, हाथी घोड़ों की सेना के आक्रमण से बचने के लिए प्रदान किया था।
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भगवान श्री कृष्ण ने देवी दुर्गा को सुदर्शन चक्र भेंट किया था, जिससे वे रक्त बीज व अन्य दैत्यों को मार सके। यह चक्र उन्होंने अपने दाहिने हाथ में धारण किया है।
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वरुणदेव ने माँ दुर्गा को यह शंख भेंट किया था, इसकी ध्वनि से स्वर्ग और नरक की सभी बुरी शक्तियां भयभीत हो जाती है और सभी दैत्य, दानव, असुर डर से कांपने लगते हैं।
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पवन देव ने देवी माँ को धनुष और बाण भेंट किया था, जिससे उन्होंने दैत्य सेना पर वार कर सभी को मार गिराया था।
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इंद्र देव ने माता रानी को घंटा भेंट किया था, ताकि उस घंटे की नाद से पिशाच और राक्षसों को मार सके।
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बुराई का नाश और दानवों का संहार करने के लिए इंद्रदेव ने माँ दुर्गा देवी को अपने वज्र से एक और वज्र निकाल कर प्रदान किया था।
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जब माँ दुर्गा ने चंड-मुंड का संहार करने के लिए, काली माँ का रूप लिया, तब युद्ध करने के लिए भगवान विश्वकर्मा ने माता रानी को फरसा प्रदान किया था।
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काल ने माँ दुर्गा को बिजली से भी ज्यादा तेज़ और चमकदार तलवार तथा स्वयं रक्षा के लिए ढाल भेंट किया था।
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माँ दुर्गा को यह दण्ड यमराज ने अपने कालदंड से प्रदान किया था, युद्ध के दौरान देवी ने दानवों का सर्वनाश इसी से किया था।
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