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छठ पूजा एक त्यौहार नहीं, हिंदुस्तान कि मिट्टी का संस्कार है-अपनी मिट्टी से जुड़े रहने का,

Author: Sunil Poddar Date: 04/11/2023

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महावर्व छठपूजा और उनकी महत्त्व आज देश ही नहीं, विदेशों में भी देखने को मिलती है।

हिंदुस्तान कि मिट्टी का संस्कार

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उत्तर भारत के लोग दुनिया के किसी भी कोने में हों,इस त्यौहार पर अपने घर-अपनी (मिट्टी)मातृभूमि को जरूर याद करते हैं।

उत्तर भारत के लोग 

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दुनियां के कोई भी देश में रह रहे लोग इस लोक आस्था के पर्व पर अपने मन के किसी कोने में एक टीस-सी महसूस करते हैं।

आस्था के पर्व 

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सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह एक तरह की अपनी सभ्यता से, अपनी संस्कृति से जुड़ा संस्कार भी है।

संस्कृति से जुड़ा संस्कार

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प्रकृति से सीधा संबंध रखने वाले इस अनुष्ठान का संबंध हमारी दिनचर्या और हमारे खेत-खलिहान से जुड़ा है. यह ऐसी पूजा है।

प्रकृति से सीधा संबंध

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जिसमें किसी तरह के मंत्र जाप का, किसी पंडित या शास्त्र का,या किसी तरह के आडंबर का इससे कोई लेना देना नहीं है।

पंडित या शास्त्र 

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अस्त होने वाले का उदय भी होता है भगवान भास्कर जो जीवन का आधार हैं और ऊर्जा का स्रोत हैं,

भगवान भास्कर

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इस पूजा में उनकी आराधना की जाती है,किसी भी धर्म-शास्त्र में या सामान्य जीवन में उदीयमान यानी उगते सूर्य की उपासना या पूजा का सर्वाधिक महत्व है।

उदीयमान यानी उगते सूर्य

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सबके लिए एक समान हैं छठी मईया इस त्यौहार को मनाने के लिए लोग देश या विदेशो से भी घर पहुंच जाते हैं।

सबके लिए एक समान हैं 

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अपनी संस्कृति अपनी सभ्यता से जुड़ाव का प्रतीक है छठ पूजा,गरीब हो या अमीर,उच्च जाति का हो या निम्न जाति का, बड़ा हो या छोटा, किसी भी धर्म का हो- छठ घाट पर छठी मईया के लिए, गंगा-यमुना नदी के लिए सूर्य देवता के लिए, सभी एक समान हैं, सभी एक साथ मिलकर एक घाट पर पूजा करते हैं.

संस्कृति अपनी सभ्यता