श्री वज्रेशरी देवी टेंपल: हिमाचल प्रदेश में स्थित: यह मंदिर प्रमुख 9 शक्तिपीठों में से एक है। ऐसा कहा जाता है कि इस जगह पर मां सती का बांया वक्षस्थल गिरा था। स्तनभाग गिरने पर जो शक्ति प्रकट हुई थी उन्हें व्रजेश्वरी कहा जाता है।

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नैना देवी मंदिर: हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में माँ नैना देवी मंदिर मौजूद है, पौराणिक इतिहास को लेकर बहुत प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि यह मां सती के नेत्र गिरे थे, जिस कारण इस मंदिर का नाम नैना देवी मंदिर पड़ा।

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तारापीठ मन्दिर: पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिलें में मां तारा देवी को समर्पित है।कहा जाता है कि यहां मां सती के नयन (तारा) गिरे थे। इस कारण इसका नाम तारापीठ पड़ा। हालांकि प्राचीन समय में इस मंदिर का नाम चांदीपुर था।

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कामख्या देवी मन्दिर: असम के गुवाहाटी में कामख्या देवी का मंदिर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि यहां मां सती का योनि भाग कटकर गिरा था। इसी कारण इस जगह पर योनि पूजन की मान्यता है।

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ज्वाला देवी मन्दिर: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में कालीधर पर्वत के बीच में ज्वाला देवी का मंदिर मौजूद है। यहां हमेशा ही काफी भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है, ऐसा माना जाता है कि इस जगह मां सती के नेत्र गिरे थे।

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हरसिद्धि मंदिर: मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित हरसिद्धि मंदिर प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। यह मंदिर महाकाल ज्योतिर्लिंग के पास है,ऐसा माना जाता है कि यहां मां सती का बांया हाथ और होंठ का ऊपरी हिस्सा गिरा था। नवरात्रि के मौके पर इस मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी रहती है।

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अंबाजी मंदिर: गुजरात और राजस्थान की सीमा पर बसे बनासकांठा जिले की दांता तालुका की पहाड़ियों के ऊपर अंबाजी मंदिर है। इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि यहां मां सती का हृदय गिरा था। नवरात्रि के दौरान यहां पूजा-पाठ के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है।

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कालीघाट मंदिर: पश्चिम बंगाल के कोलकाता में स्थित कालीघाट मंदिर देशभर में बहुत मशहूर है। बता दें कि जब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र को जब मां सती पर चलाया तो मां के पांव की चार ऊंगलियां इस जगह पर गिरी थीं।

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महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित: महालक्ष्मी का यह मंदिर देशभर में बहुत मशहूर है। ऐसा कहा गया है कि इस जगह पर मां सती का त्रिनेत्र गिरा था। यह मंदिर इसलिए भी प्रसिद्ध है, क्योंकि यहां साल में एक बार सूरज की किरणें सीधे देवी की प्रतिमा पर पड़ती है।

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