Author: SUNIL PODDAR Date: 13/04/2024
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चैत्र नवरात्रि शुभ दिन में मां स्कंदमाता की आराधना से जीवन की सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं.
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ऊंचे पहाड़ों पर रहने वाली देवी स्कंदमाता का सुमिरन करने से भगवान कार्तिकेय का भी आशीर्वाद मिलता है.
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स्कंदमाता की उपासना से परम शांति और सुख का अनुभव होता हैं,स्कंदमाता की कृपा से सूनी गोद भर जाती है
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कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदनमाता कहते हैं. ये माता चार भुजाधारी, कमल के पुष्प पर बैठती हैं,
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इन माता को पद्मासना देवी भी कहा जाता है. इनकी गोद में कार्तिकेय भी बैठे हुए हैं, इनकी पूजा से कार्तिकेय की पूजा स्वयं हो जाती है.आइए जानते हैं कि स्कंदमाता की पूजन विधि के बारे में.
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मां के समक्ष पीली चुनरी में एक नारियल रखें. स्वयं पीले वस्त्र धारण करके 108 बार “नन्दगोपगृहे जाता यशोदागर्भ सम्भवा. ततस्तौ नाशयिष्यामि विन्ध्याचलनिवासिनी" मंत्र का जाप करें.
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इसके बाद नारियल को चुनरी में बांधकर अपने पास रख लें. इसको अपने शयनकक्ष में सिरहाने पर रखें.
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स्कंद माता की पूजा से संतान की प्राप्ति सरलता से हो सकती है.इसके अलावा, संतान से कोई कष्ट हो रहा हो तो उसका भी अंत हो जाएगा.
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स्कंदमाता की पूजा में पीले फूल अर्पित करें और पीली चीजों का भोग लगाएं. ऐसा कहा जाता है कि कालिदास द्वारा रचित रघुवंशम महाकाव्य और मेघदूत रचनाएं स्कंदमाता की कृपा से ही संभव हुईं. किसी भी पूजा को संपूर्ण तभी माना जाता है